April 22, 2025
धरती माँ का दर्द
“अरे! पीपल बेटा आज इतनी गहमा-गहमी कैसी ? इतने सारे लोग लगता है कुछ तो विशेष है, लेकिन क्या समझ नहीं आया ? भला ये लोग पेड़-पौधों के साथ और इतने सारे कैमरा और मीडिया के लोग भी भला, यहाँ किसलिए आए हैं ? ज़रा पूछकर तो आओ बेटा।”
“अभी जाता हूँ माँ!”
पीपल ने लोगों से कहा, “माफ़ कीजिएगा भाई लोगों आप सब यहाँ क्यों इकट्ठा हुए हैं ?” लोगों ने कहा, “अरे! पीपल दादा क्या आप नहीं जानते आज *पृथ्वी दिवस* है,मतलब हमारी धरती माँ का दिन है,इसलिए हम यहाँ पेड़-पौधे लगाने आए हैं।”
“अच्छा…..तो ये कैमराऔर मीडिया के लोग..इनकी क्या जरूरत ?”
“अरे तुम भी कितने नादान हो! यहाँ सब कार्यवाही लिखित रुप में रखनी पड़ती है और फोटो खींचकर हम समाचार पत्र में छपाएँगे जिससे हमारी वाह-वाही होगी और हमें पुरस्कार भी मिलेगा!”
ये सारी बातें धरती माँ भी सुन रही थी। हृदय भर आया,सह ना पाई और बोली, “हे मनुष्य ! तुम तो ईश्वर द्वारा रचित इस सृष्टि की असीम बुद्धि-बल वाली अति सुंदर रचना हो, तुम इतने स्वार्थी कैसे हो सकते हो ? तुम केवल एक दिन के लिए मुझे देखने आए हो लेकिन मैं तो प्रतिदिन धूप का आतप सहती रहती हूँ प्रतिदिन कोई ना कोई मेरा हृदय चीरकर कभी रत्नों की तलाश करता है,कभी तेल ढूँढने का प्रयास करता है तो अपनी प्यास बुझाने के लिए मुझे छलनी किए देता है,मेरी नदियाँ, झीलें यहाँ तक समंदर भी अपने स्वार्थ के लिए हड़पने लगा है और तो और तुम पढ़े-लिखे लोग खा-पीकर सभी जूठन,प्लास्टिक की थैलियाँ और ना जाने क्या-क्या मुझ पर ऐसे ही बिखेर जाते हो रात-दिन में गंदगी -प्रदूषण देखकर सहन करती हूँ, पल-पल तड़पती रहती हूँऔर तुम एक दिन आकर *स्वच्छता* का नारा देकर अपने कर्तव्य से मुक्त हो जाते हो। वाह रे! मनुष्य तुम्हे तनिक भी लज्जा नहीं आती है। तुम्ही ऐसा करोगे तो आने वाली पीढ़ी को कौनसी सौगात दोगे ? समय रहते अभी भी सुधर जाओ आने वाली पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए निरंतर प्रयास करो हर शुभ-अशुभ अवसर पर स्मृति स्वरूप पेड़-पौधे लगाओ,लोगों को उपहार में दो,घर के प्रत्येक सदस्य के नाम से पेड़-पौधे लगाओ ,यही हरीतिमा ही तो मेरा श्रृंगार है ।”

“हे धरती माँ हम मनुष्य क्षमाप्रार्थी हैं, अपनी स्वार्थलिप्सा में इतने लिप्त हो गए कि अपनी माँ का दुःख-दर्द ही भूल गए,हम मनुष्य जाति ही आपकी अपराधी हैं। आपने हमारे चेतना-शून्य हो चुके नेत्रों को खोल दिया है आज से हम प्रण लेते हैं जीवन पर्यंत हम नि:स्वार्थ भाव से तन-मन-धन के साथ आपकी सेवा करेंगे और लोगों को भी प्रेरित करेंगे। अपनी *धरती माँ की हरीतिमा रूपी मुस्कान* में दिन दूनी रात-चौगुनी वृद्धि करेंगे।”
आप सभी से विनम्र आग्रह है कि प्रतिदिन पृथ्वी दिवस श्रद्धा के साथ मनाएँ।
आप सभी को पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।


Anju Dwivedi
Anju Dwivedi teaches Hindi in a renowned school in Ajmer. She takes pleasure in expressing her deepest thoughts, ideas and feelings through writing short stories, poems and shayari.