Jul 25, 2025
जीवन की शतरंज
जीवन एक शतरंज का माया जाल है जहाँ हर कदम पर जटिल योजनाओं और छलावे से घिरी हुई नई चाल है। इस खेल में हम अक्सर स्वयं को “राजा” समझ बैठते हैं। माया के भ्रमजाल में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे सब कुछ हमसे ही नियंत्रित है, जबकि वास्तविकता कुछ और ही होती है।
कभी हम ‘ढाई अक्षर’ प्रेम का छोड़कर माया की दौड़ में ऐसे दौड़ते हैं - जैसे शतरंज का ‘घोड़ा ढाई चाल चलते’ दौड़ता है और उलझ जाते हैं हम दुनिया की इस चकाचौंध में, यही सोचकर कि ये ही सच्चा सुख है।
कभी समाज में अपनी प्रतिष्ठा और वर्चस्व दिखाने के लिए हम स्वयं को वज़नदार ‘हाथी समझते हैं और सीधी चाल’ चलने का ढोंग करते हैं, लेकिन भीतर से हमारा उद्देश्य केवल दूसरों को प्रभावित करने का होता है, न कि सच्चाई से जीने का।
कभी दूसरों को नीचा दिखाने की होड़ में हम कुटिलता,छल और चालाकी से भरी ‘ऊँट की तरह टेढ़ी चालें’ चलते हैं।किंतु हम जीवन का सत्य भूल जाते हैं कि, हर टेढ़ी चाल हमें आत्मिक रूप से और अधिक खोखला बना देती है।

कभी हम जीतने के लिए ‘वज़ीर बनकर साम-दाम- दंड-भेद’ की हर नीति अपनाते हैं। ये सोचकर कि हर कीमत पर हमें विजय पाना है, चाहे वो आत्मा की कीमत पर ही क्यों न हो। परंतु ये सब चालें अंततः हमारे भीतर 'मैं' को ही भरती हैं।
हम तो इस शतरंज के ‘प्यादे मात्र’ हैं। इस खेल की हर बाजी की चाल तो परमात्मा के हाथ में है। वही है जो कर्मानुसार तय करता है, कौन किस दिशा में ,कितना आगे बढ़ेगा और कब किसके खेल की बाज़ी का अंत होगा।
चालें चलते-चलते जब आत्मज्ञान की किरण जागती है तब हमें समझ आता है कि हम तो शतरंज के भाँति-भाँति के मोहरे हैं।उस दिन हमारे भीतर से झूठी माया का भ्रम मिटने लगता है। तभी तो कहते हैं ‘जीतनी है जो ‘जीवन की बाजी’ तो छोड़ व्यर्थ के गोरखधंधे, कर्म सुधार ले प्रभु के प्यारे बंदे!

Anju Dwivedi
Anju Dwivedi teaches Hindi in a renowned school in Ajmer. She takes pleasure in expressing her deepest thoughts, ideas and feelings through writing short stories, poems and shayari.





