Jun 24, 2025
निश्छल प्रेम
‘प्रेम’ जिसे शब्दों में बाँधकर परिभाषित नहीं किया जा सकता है।यह तो एक सुखद अहसास है जिसे आत्मा से महसूस किया जा सकता है।कौन कहता है कि, केवल मनुष्य ही हैं जो अपनी भावाभिव्यक्ति को गा कर या शब्दों में पिरोकर प्रकट कर सकते हैं, नहीं ऐसा नहीं है।माना कि, ‘मनुष्य’ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसे असीम बुद्धि-बल की शक्ति मिली है जिससे उसने बहुत प्रगति करना भी सीखा है किंतु ‘निश्छल प्रेम’ करना कदापि ना सीख पाया। वहीं निश्छलता और मूक प्रेम की भाषा ‘जानवर’ अच्छी तरह से समझाते हैं। फिर चाहे वे हमारे पालतू हों या गली-मोहल्ले में रहने वाला हों ‘प्रेम’ बहुत ही अच्छी तरह से जताते हैं। घर से बाहर जाओ तो, नुक्कड़ तक छोड़कर आना और लौटकर आने पर अपनी दुम हिलाकर, कूद-कूदकर, पैरों में लोट-लोटकर, ईर्द-गिर्द खुशी से कूँ-कूँ की प्यार भरी आवाज़ से अपना प्यार लुटाना तो कोई इन जानवरों से सीखे। कभी उनकी गलती पर हमारा डाँटना और उन मासूमों का रूठ जाना हमारा मन मोह लेता है और जब तक हम ना मनाएँ तो वे हमारे पास भी नहीं आते हैं।

लेकिन हमें तकलीफ़ में देखकर उनका हमारे पास सिमटकर बैठना और अपनत्त्व जताना, हम खाना ना खाएँ तो स्वयं भी भूखे रहना और पूरी वफ़ादारी से अपने मालिक के साथ खड़े रहना तो कोई इनसे सीखें और तो और सबके सो जाने पर रात्रि में थोड़ी सी आहट पर भौंक कर सतर्कता से पहरा देकर रक्षा करने का फर्ज़ निस्वार्थ रूप से निभाते हैं।सत्य ही है, स्वार्थ तो केवल मनुष्य ही जानता है लेकिन जानवर तो सिर्फ‘निश्छल, निस्वार्थ प्रेम ही करना जानते हैं। यथार्थ में यही तो ‘प्रेम’ की पूर्णता है जिसमें ‘निश्छल आत्मिक आनंद’ है।
‘इसीलिए ‘जानवरों के प्रति प्रेम और करूणा के भाव रखिए तथा इन्हे अपने जीवन का हिस्सा अवश्य बनाइए।’

Anju Dwivedi
Anju Dwivedi teaches Hindi in a renowned school in Ajmer. She takes pleasure in expressing her deepest thoughts, ideas and feelings through writing short stories, poems and shayari.





