Sep 25, 2025
शरद ऋतु
परिवर्तन का नियम सिखाती ये ऋतुएँ अपने आगमन का संकेत सुरम्य ढंग से देती हैं।’शरद-ऋतु को ‘पतझड़’ के नाम से भी जाना जाता है क्यों कि प्रकृति में पेड़-पौधों के पत्ते पीले,नारंगी और लाल रंगों में परिवर्तित हो जाते हैं।जो हमें जीवन की अवस्थाओं से अवगत कराती है।ऐसे ही ‘शरद’ ऋतु आने से पूर्व वातावरण में मंद-मद बहती शीतल पवन की छुअन जो हमारे तन-मन को आनंदित कर देती है।चंद्रमा की धवल चाँदनी और उज्ज्वल होने लगती है,दिन छोटे और रात्रि लंबी लगने लगती है।
इसी सुहावने मौसम के साथ उमंग और उल्लास के प्रतीक सभी धर्मों के पर्वों का भी शुभारंभ हो जाता है। जैसे सर्वप्रथम विघ्न-बाधाओं को हरने वाले प्रथम पूज्य देव श्री गणपति जी का उत्सव, त्याग-तप के प्रतीक जैन धर्म के पर्यूषण पर्व,भक्ति-शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा के नवरात्र जो हमारे अंतर्मन को पावनता की शक्ति से परिपूर्णकरतेहैं तत्पश्चात ‘दीपावली’ जो अपने दीपों की अवली से अमावस्या की घोर तिमिरता को पूर्ण प्रकाश से आलोकित कर देती है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो पूर्णिमा का चाँद स्वयं ही उदित हो गया हो।‘शरद पूर्णिमा पर बनने वाली स्वादिष्ट खीर जिसमें चंद्रमा की किरणों का प्रवाह उसकी मिठास को और शीतल बना देता है और इस ऋतु में हमारा पाचन भी स्वस्थ रहता है।

ये ऋतुएँ हमारे जीवन का सुखद आधार भी हैं।जब हम अपने घरों में सुख-सुविधाओं का आनंद ले रहे होते हैं तब मेहनतकश किसान अपने श्रम के पसीने की बूँदों से इस धरती पर अपनी फसल उगाई द्वारा हमारे भरण-पोषण की व्यवस्था कर रहा होता है।तब’शरद-ऋतु’ किसान को कठोर परिश्रम का फल देने के लिए उसके जीवन में खुशहाली लाती है क्योंकि फसलों की कटाई के साथ-साथ नई फसलों की बुआई भी तो शुरू हो जाती है।
ये ऋतुएँ हमें नियमों में बंधना व जीने की कला सिखाती हैं।परिवर्तन की प्रतीक ये ‘शरद-ऋतु’ जो हमें जीवन के प्रत्येक बदलाव को सहर्ष स्वीकारने को तथा हर अवस्था को शांत मन-मस्तिष्क के साथ आनंद लेने के लिए प्रेरित करती है।

Anju Dwivedi
Anju Dwivedi teaches Hindi in a renowned school in Ajmer. She takes pleasure in expressing her deepest thoughts, ideas and feelings through writing short stories, poems and shayari.





